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सूखे आंसू

ग़म की रात गुजर गई, कर कर दिन को याद
दिन होते मिला न कोय, सुन ले जो  फरियाद
सुन ले वो फरियाद, काहे का फिर होए  ग़म
तड़प तड़प कर हाय, निकला जाए मेरा दम
एक तो ये दूरियां दूजे तड़पाती उनकी  याद
सूख गये आंखों में आंसू सुने न वो फरियाद
अजब-गजब है दृश्य सावन में आंगन सुखा
लंगर का पहरेदार ही लंगर से निकला भूखा
हाय कोई तो सुने पीड़ा कोई पहुंचाएं पैग़ाम
वो एक बार दीद दे ये शाम है आखिरी शाम
थम गये आंसू अब सूख गया आंख का पानी
चेहरे पर बनी चंद लकीरें कहती मेरी कहानी
तुम्हें तुम्हारी जवानी मुबारक हमको रुसवाई
प्रेम की इस लीला ने हमको ठहराया हरजाई
तुमने ही आंख लड़ाई तुमने ही ली थी अंगड़ाई
सब तेरे बस में राई से पर्वत करे पर्वत राई माहीं
इन गलियों में अब बस इतना ही मेरा फेरा था
मैंने खोया सबकुछ तुने खोया जो बस तेरा था

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5 Comments

बहुत खुब लिखा

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बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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अनीस राही

30-Jul-2023 02:42 PM

शुक्रिया सर 🙏

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Reena yadav

30-Jul-2023 12:41 AM

👍👍

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अनीस राही

30-Jul-2023 02:43 PM

🙏🙏

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